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समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है शिक्षा: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

नयी दिल्ली 5 जुलाई : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि शिक्षा किसी भी समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और गोंडवाना विश्वविद्यालय छात्रों को शिक्षित बनाकर अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहा है।
श्रीमती मुर्मू ने बुधवार को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में गोंडवाना विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा किसी भी समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि गोंडवाना विश्वविद्यालय ने समावेशी, किफायती और मूल्यवान शिक्षा प्रदान करने के लिए कई कदम उठाए हैं। यह विश्वविद्यालय ज्ञान, तर्कसंगत दृष्टिकोण, पेशेवर कौशल और नैतिक मूल्यों के माध्यम से छात्रों को सशक्त बना रहा है। विश्वविद्यालय ने एक समान शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण, बहु-विषयक अनुसंधान को बढ़ावा देने और स्थायी आजीविका के लिए शैक्षणिक कार्यक्रम संचालित करने पर ध्यान केंद्रित किया है।
उन्होंने कहा कि इस तरह की शैक्षिक पहल छात्रों को क्षेत्र और देश के सतत विकास में योगदान देने के लिए तैयार करेगी। उन्होंने आदिवासी समुदायों और पिछड़े वर्गों के युवाओं को शिक्षा के माध्यम से नए अवसर प्रदान करने के लिए गोंडवाना विश्वविद्यालय की सराहना की।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह भी सराहनीय है कि गोंडवाना विश्वविद्यालय क्षेत्र की वन संपदा, खनिज संसाधनों के साथ-साथ स्थानीय आदिवासी समुदायों की कला और संस्कृति के संरक्षण और विकास के लिए प्रयास कर रहा है। उन्होंने टैली, बांस शिल्प और वन प्रबंधन जैसे पाठ्यक्रमों के माध्यम से अनुभव केन्द्रीत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय की सराहना की। उन्होंने विश्वविद्यालय के जनजातीय अनुसंधान केंद्र की स्थापना की भी सराहना की जो स्थानीय मुद्दों पर शोध पर लगा हुआ है।
श्रीमती मुर्मू ने कहा कि छात्रों और विश्वविद्यालय समुदाय से वैश्विक समस्याओं का अध्ययन करने और उनका समाधान करने की अपेक्षा की जाती है। पारंपरिक ज्ञान, नवीनतम प्रौद्योगिकी , नवाचार और अनुसंधान के माध्यम से जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरणीय हरास जैसे समसामयिक मुद्दों पर चर्चा करना और समाधान खोजना उनका कर्तव्य है।
राष्ट्रपति ने कहा कि समाज और देश के समावेशी विकास में युवाओं की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने छात्रों को सपनों को साकार करते हुए अपनी जड़ों, अपने विश्वविद्यालय से जुड़े रहने की सलाह दी।

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