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टाइटल गीत लिखने में माहिर थे हसरत जयपुरी

मुम्बई, 16 सितंबर  हिन्दी फिल्मों में जब भी टाइटल गीतों का जिक्र होता है, गीतकार हसरत जयपुरी  का नाम सबसे पहले लिया जाता है ।वैसे तो हसरत जयपुरी ने हर तरह के गीत लिखे लेकिन फिल्मों के टाइटल पर गीत लिखने में उन्हें महारत हासिल थी ।

हिन्दी फिल्मों के स्वर्ण युग के दौरान टाइटल गीत लिखना बड़ी बात समझी जाती थी ।निर्माताओं को जब भी टाइटल गीत की जरूरत होती थी तब हसरत जयपुरी से गीत लिखवाने की गुजारिश की जाती थी।उनके लिखे टाइटल गीतों ने कई फिल्मों को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी।हसरत जयपुरी के लिखे कुछ टाइटल गीत हैं.. दीवाना मुझको लोग कहें ,दिल एक मंदिर है, रात और दिन दीया जले, तेरे घर के सामने इक घर बनाऊंगा,तेरे घर के सामने,ऐन इवनिंग इन पेरिस, गुमनाम है कोई बदनाम है कोई,दो जासूस करें महसूसआदि ।

15 अप्रैल 1922 को जन्में हसरत जयपुरी .मूल नाम इकबाल हुसैन. ने जयपुर में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद अपने दादा फिदा हुसैन से उर्दू और फारसी की तालीम हासिल की।बीस वर्ष का होने तक उनका झुकाव शेरो-शायरी की तरफ होने लगा और वह छोटी-छोटी कविताएं लिखने लगे ।वर्ष 1940 में नौकरी की तलाश में हसरत जयपुरी ने मुम्बई का रूख किया और आजीविका चलाने के लिए वहां बस कंडक्टर के रूप में नौकरी करने लगे।

इस काम के लिये उन्हे मात्र 11 रुपये प्रति माह वेतन मिला करता था।इस बीच उन्होंने मुशायरों के कार्यक्रम में भाग लेना शुरू किया।उसी दौरान एक कार्यक्रम में पृथ्वीराज कपूर उनके गीत को सुनकर काफी प्रभावित हुये और उन्होने अपने पुत्र राजकपूर को हसरत जयपुरी से मिलने की सलाह दी।

राजकपूर उन दिनों अपनी फिल्म ..बरसात ..के लिये गीतकार की तलाश कर रहे थे।उन्होंने हसरत जयपुरी को मिलने का न्योता भेजा।राजकपूर से हसरत जयपुरी की पहली मुलाकात .रायल ओपेरा हाउस. में हुयी और उन्होने अपनी फिल्म बरसात के लिये उनसे गीत लिखने की गुजारिश की।इसे महज संयोग ही कहा जायेगा कि फिल्म बरसात से ही संगीतकार शंकर जयकिशन ने भी अपने सिने कैरियर की शुरूआत की थी ।राजकपूर के कहने पर शंकर जयकिशन ने हसरत जयपुरी को एक धुन सुनाई और उसपर उनसे गीत लिखने को कहा।

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