बिहार-गुप्ता एकाग्रता दो अंतिम दरभंगा
डॉ. गुप्ता ने एकाग्रता की शक्ति को विकसित करने के विभिन्न उपायों की चर्चा करते हुए कहा कि एक बार जब स्वामी विवेकानंद से पूछा गया कि एकाग्रता की शक्ति को कैसे विकसित करें तो उन्होंने कहा था – शक्तिशाली बनो और संघर्ष करो। उनके इस वाक्य में एकाग्रता को प्राप्त करने के लिए जरूरी तमाम तथ्य छिपे हुए हैं। शक्तिशाली बनने से स्वामी विवेकानंद का अभिप्राय था – शारीरिक शक्ति, मानसिक शक्ति और आध्यात्मिक शक्ति का विकास। इसी तरह संघर्ष से उनका अभिप्राय था कि आपके अंदर जो बुराइयां हैं उनको दूर करने के लिए आप संघर्ष करें तो एकाग्रता को निश्चित रूप से प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में नकारात्मकता को आप जैसे – जैसे समाप्त करते जाएंगे उसी अनुपात में आपकी एकाग्रता की शक्ति बढ़ती चली जाएगी।
उन्होंने कहा कि आज के समय में लोग 8 से 10 घंटे मोबाइल पर बिताते हैं। हालांकि इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि सोशल मीडिया से हमें देश दुनिया की अद्यतन जानकारी मिलती है। लोगों से विचारों का आदान-प्रदान भी होता है। अनुसंधान की भी बात होती है। लेकिन इसका अत्यधिक इस्तेमाल कहीं से भी वाजिब नहीं है। सोशल मीडिया वास्तव में दोधारी तलवार है। जीवन में इसे खत्म तो नहीं किया जा सकता लेकिन इसके उपयोग की सीमाएं तय की जा सकती हैं। एकाग्रता को विकसित करने में शरीर का स्वस्थ होना भी जरूरी है। स्वामी विवेकानंद कहा करते थे कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा का वास होता है। प्रायः देखा गया है कि हरी हरी सब्जियों, फल और मैग्नीशियम का प्रचुर मात्रा में सेवन करने से एकाग्रता की स्थिति बढ़ती है।
डॉ. गुप्ता ने कहा कि बदलती जीवन शैली कई तरह की परेशानियां पैदा कर रही हैं। इसलिए लोगों को इसमें बदलाव लाना चाहिए। आज युवा वर्ग में देर रात तक सोना और फिर सुबह में देर से उठना एक फैशन बनता जा रहा है। इसे रोकना होगा। बेहतर यह होगा कि वे रात में 10 बजे के लगभग में सो जाएं और सुबह 4 से 5 के बीच में उठकर प्रकृति के करीब पहुंचने का काम करें। पढ़ाई लिखाई के लिए भी अहले सुबह का समय सर्वोत्तम है।ऑफिस में लगातार सात-आठ घंटे कुर्सी पर बैठकर काम करने वाले लोगों के लिए उन्होंने सलाह दी कि वह हर एक घंटे पर 5-10 मिनट के लिए काम को ब्रेक दें। इस ब्रेक के दौरान वे या तो कार्यालय में ही या लौंन में टहल कर अपनी एकाग्रता को विकसित कर सकते हैं। ऐसे लोग 5 से 10 मिनट का मेडिटेशन भी कार्यालय के अंदर ही कर वे तरोताजा हो सकते हैं। इससे उनके एकाग्रता के स्तर में काफी वृद्धि हो सकती है।