राजस्थान

थार रेगिस्तान में तेल क्षेत्रों से गत तेरह सालों में 66 करोड़ बैरल से अधिक का हुआ उत्पादन

बाड़मेर 28 अगस्त : राजस्थान में थार रेगिस्तान में तेल क्षेत्रों से गत तेरह सालों में 66 करोड़ बैरल से अधिक का उत्पादन हो चुका हैं और आज यह देश का सबसे विशाल स्थलीय तेल भंडार हैं।

थार रेगिस्तान में तेल क्षेत्रों से तेल उत्पादन पिछले तेरह वर्षों से हो रहा है और सोमवार को यह चौदहवें वर्ष में प्रवेश करेगा। इस अवसर पर केयर्न ऑयल एंड गैस के डिप्टी सीईओ प्रचुर साह ने आज यह जानकारी देते हुए कहा, “हमें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि मंगला ऑयल फील्ड ने अपने उत्पादन का 13वां साल पूरा कर लिया है। यह क्षेत्र भारत के घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है और हमें विश्वास है कि आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र प्रासंगिक बना रहेगा क्योंकि भारत ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की ओर बढ़ रहा है।”

उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र कुछ बेहतरीन वैश्विक साझेदारियों का रहा है, जिन्होंने तेल और गैस की खोज तथा उत्पादन की प्रौद्योगिकियों में नवाचार को प्रेरित किया है। केयर्न में, हमने उत्पादन क्षमता को दोगुना करने और भारत की घरेलू क्रूड बास्केट में 50 प्रतिशत योगदान करने के अपने लक्ष्य की घोषणा की है और इस मिशन में, मंगला क्षेत्र एक प्रेरक भूमिका निभाता रहेगा।

उन्होंने बताया कि आज केयर्न ऑयल एंड गैस भारत के घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन में लगभग 25 प्रतिशत का योगदान देता है।

कंपनी के राजस्थान ब्लॉक से आने वाले अधिकांश उत्पादन में मंगला, भाग्यम एवं ऐश्वर्या शामिल हैं। सामूहिक रूप से दोनों ने वित्त वर्ष 2021 की स्थिति के अनुसार राष्ट्रीय और राज्य के खजाने में 19 बिलियन डॉलर का योगदान दिया है। ब्लॉक से संचयी उत्पादन 600 करोड़ बैरल को पार कर गया है। अब केयर्न ऑयल एंड गैस का लक्ष्य उत्पादन क्षमता को दोगुना करना और घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन में 50 प्रतिशत का योगदान करना है। यहां भी मंगला क्षेत्र और राजस्थान ब्लॉक प्रमुख भूमिका निभाएंगे।

मंगला क्षेत्र ने एन्हांस्ड ऑयल रिकवरी (ईओआर), अल्कलाइन सर्फैक्टेंट पॉलिमर (एएसपी) तकनीक के उपयोग और मंगला पाइपलाइन का घर होने के कारण महत्वपूर्ण नवाचार किया है। दुनिया की सबसे लंबी लगातार गर्म और इन्सुलेटेड पाइपलाइन में कच्चा तेल राजस्थान के क्षेत्रों से लेकर गुजरात में रिफाइनरियों तक लगभग 705 किलोमीटर की दूरी तय करती है। मंगला पाइपलाइन अब सौर ऊर्जा का रुख कर रही है और पूरी पाइपलाइन में स्थापित सौर पैनलों द्वारा संचालित की जाएगी। प्रसिद्ध पाइपलाइन उद्योग की अग्रणी प्रणालियों का प्रमाण रही है और सौर ऊर्जा में इसका रूपांतरण तेल और गैस क्षेत्र के लिए एक मिसाल कायम कर रहा है।
उन्होंने बताया कि जब से केयर्न ने परिचालन शुरू किया है, बाड़मेर जिले ने प्रति व्यक्ति आय में 650 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। यह राष्ट्रीय और राज्य दोनों के औसत से ऊपर है।

जल, जैव विविधता, शिक्षा, महिला और बाल विकास आदि की पहलों ने इस क्षेत्र के आठ करोड़ से अधिक लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। इसने समृद्ध सामाजिक संपदा उत्पन्न की है जो आज पश्चिमी राजस्थान के बदले हुए परिदृश्य और आजीविका में दिखाई दे रही है।

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