हिमालय में पाये जाने वाले पक्षी दिखे कांगेर में
जगदलपुर, 27 नवंबर : मध्य भारत के जैव विविधता का खजाना माने गए छत्तीसगढ़ के बस्तर जिला में स्थित कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में बीते दो दिनों से बर्ड काउंटिंग जारी है। 25 नवंबर से शुरु हुई काउंटिंग के पहले दिन की शाम तक करीब 150 तरह के परिदों को उनके विचरण क्षेत्र के आधार पर पहचाना जा चुका है।
कांगेर घाटी के संचालक धम्मशील गणवीर ने बताया इस सर्वेक्षण से राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन में सहायता होगी तथा ईको-टूरिज्म में बर्ड वॉचिंग के नए आयाम सम्मिलित होंगे। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, बर्ड कॉउंट इंडिया एवं बर्ड्स एंड वाइल्ड लाइफ ऑफ छत्तीसगढ़ से पक्षी सर्वेक्षण करवाया जा रहा है। अपने प्राकृतिक सौंदर्य, जैव विविधता, रोमांचक गुफाओं के लिए देश-विदेश में विख्यात है। यहां भारत के पश्चिमी घाट एवं पूर्वीय हिमालय में पाए जाने वाले पक्षियों को भी देखा गया है। देश के विभिन्न परिदृश्यों में पाए जाने वाले पक्षियों का कांगेर घाटी से संबंध एवं उनके रहवास को समझने का प्रयास समय-समय पर विशेषज्ञों द्वारा किया गया।
कांगेर वैली में पक्षियों की 170 से 200 प्रजातियां मिलने की पुख्ता जानकारी पहले ही दर्ज हो चुकी है। इनमें पहाड़ी मैना, भृंगराज, उल्लू, वनमुर्गी, जंगली मुर्गा, क्रेस्टेड, सरपेंटइगर, श्यामा, रैकेट टेल ड्रांगो आदि शामिल हैं। तितलियों की 63 प्रजातियां जो कि 46 जनेरा एवं 29 फैमली के अन्तर्गत आती हैं पार्क में पायी जाती है। रेप्टाइल की 12 फैमली के 37 प्रजातियों में मगर, कछुआ, अजगर, नाग, धामन, लिर्जड आदि दिख जाते हैं। मछलियों की 11 फैमली से 56 प्रजातियां पायी जाती है।
उन्होंने बताया कि कांगेर वैली में एशिया के पहले घोषित 14 किमी लंबे बायोस्फियर जीवोद्यान में परेवां बाड़ी नामक जल कुंड को जंगली कबूतरों के प्राकृतिक आवास को स्थानीय लोग पहले पहचान दिलवा चुके हैं।
श्री धम्मशील ने बताया कि कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में चल रहे पक्षी सर्वेक्षण के दूसरे दिन पक्षी विशेषज्ञों ने सुबह से शाम तक लगभग 8 घण्टे पक्षियों को देखा समझा और उनके रहवास के बारे में बारीकी से जानकारी ली। इस सर्वे के बाद बस्तर में आने वाले पर्यटकों को पक्षियों का एक नया संसार देखने मिलेगा।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में चल रहे पक्षी सर्वेक्षण के दूसरे दिन पक्षी विशेषज्ञों ने सुबह से शाम तक लगभग 8 घण्टे पक्षियों को देखा समझा और उनके रहवास के बारे में बारीकी से जानकारी ली। इस सर्वे के बाद बस्तर में आने वाले पर्यटकों को पक्षियों का एक नया संसार देखने मिलेगा।
कांगेरघाटी में पक्षी विशेषज्ञ लगभग 34 ट्रेल में सर्वेक्षण के लिए जुटे हुए हैं। प्रत्येक ट्रेल में 2 से 4 लोगों की टीम बनाई गई है। इस टीम के द्वारा सुबह 5 घंटे तथा शाम को तीन घण्टे लगातार पक्षियों के बारे में जानने के लिए काम कर रही है।
जैव विविधता व प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर कांगेरघाटी में भारत के पश्चिमी घाट एवं पूर्वीय हिमालय में पाए जाने वाले पक्षियों को भी देखा गया है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान द्वारा बर्ड कॉउंत इंडिया एवं बर्ड्स एंड वाइल्ड लाइफ ऑफ छत्तीसगढ़ के सहयोग से पक्षी सर्वेक्षण का आयोजन किया जा रहा है।
इस सर्वे के बाद यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को पक्षियों के बारे में जानने व समझने और उनके रहवास को देखने का मौका मिलेगा जो एक खास आकर्षण होगा। इस पहल से ईको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा।