देव संस्कृति विवि के छठे दीक्षांत समारोह में 2661 विद्यार्थियों को मिलीं उपाधि
हरिद्वार/देहरादून, 01 नवंबर : उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय (देसविवि), शांतिकुंज का छठा दीक्षांत समारोह मंगलवार को आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला एवं देसंविवि के कुलाधिपति डॉ प्रणव पण्ड्या ने संयुक्त रूप से 2661 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की।
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिडला ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज प्राचीन मूल्यों को आधुनिक मूल्यों के साथ समन्वय करने की महती आवश्यकता है। देवसंस्कृति विवि इसे बखूबी कर रहा है। उन्होंने कहा कि विवि से शिक्षित होकर देश विदेश में जाने वाले युवक हमारे सांस्कृतिक राजदूत हैं।
समारोह के अध्यक्ष कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि देसंविवि एकमात्र विवि है, जहां ज्ञानदीक्षा समारोह होता है। जिसके माध्यम से युवाओं को चरित्रवान एवं निष्ठावान छात्र बनने की प्रतिज्ञा कराई जाती है। उन्होंने कहा कि यहां से उत्तीर्ण होकर नये जीवन में प्रवेश करने वाले छात्र छात्राएं विवि से प्राप्त गुणों का अन्यों में भी प्रसार करेंगे।
कुलाधिपति ने कहा कि विवि की जो परिकल्पना युगऋषि पं श्रीराम शर्मा आचार्य ने की थी, उसका साकार रूप में देवसंस्कृति विवि को देखा जा सकता हैै। उन्होंने कहा कि हम शीघ्र ही विवि का विस्तार करेंगे। उन्होंने कहा कि पं श्रीराम शर्मा आचार्य ने जो तीन हजार दो सौ से अधिक साहित्यों की संरचना की है, उसके प्रकाश से ही संस्कृति और संस्कार को जाग्रत कर पा रहे हैं।
इससे पूर्व कुलपति शरद पारधी ने शनैः शनैः प्रगति पथ अग्रसर हो रहे विवि की प्रगति प्रतिवेदन र्प्रस्तुत किया। प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने दीक्षांत समारोह की पृष्ठभूमि पर विस्तृत प्रकाश डाला।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष श्री बिडला, उनकी पत्नी डॉ अनिता बिडला, कुलाधिपति डॉ प्रणव पण्ड्या ने दीक्षांत समारोह स्मारिका, अनाहत, संस्कृति संचार, अंतर्राष्ट्रीय जनरल आदि का विमोचन किया। कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या ने श्री बिडला को गंगाजली, स्मृति चिह्न एवं विवि का विशेष साहित्य भेंटकर सम्मानित किया।
देहरादून जिला प्रशासन के अनेक वरिष्ठ अधिकारी, पत्रकार बंधु एवं विद्यार्थियों के अभिभावक मौजूद रहे। दीक्षांत समारोह से पूर्व श्री बिरला, डॉ. अनिता बिरला, डॉ. पण्ड्या ने प्रज्ञेश्वर महादेव की पूजा की और मंदिर परिसर में रक्त चंदन के पौधारोपण किया। इसके पश्चात उन्होंने देश की रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान करने वाले शूरवीरों की याद बने शौर्य दीवार पर पुष्पांजलि अर्पित की।