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राज्यपाल की वापसी के लिए समान विचारधारा वाले दल सामने आये: द्रमुक

चेन्नई, 02 नवंबर : तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) ने राज्यपाल आर एन रवि को वापस बुलाने के लिए समान विचारधारा के दलों के सांसदों से राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में हस्ताक्षर करने का आह्वान किया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और द्रमुक संसदीय दल के नेता टी.आर.बालू ने सांसदों को लिखे पत्र में कहा , “ द्रमुक के सांसद और समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों से अनुरोध है कि वे कृपा कर अन्ना अरिवालयम मुख्यालय जाकर राज्यपाल की वापसी के लिये राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन को पढे और तीन नवंबर से पहले इस ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर देंं।”

गौरतलब है कि राज्यपाल और द्रमुक नेता वैचारिक मतभेदों को लेकर आमने सामने हैं। द्रमुक और उसके सहयोगी दलों का आरोप है कि राज्यपाल अपनी संवैधानिक मर्यादायें लांघ रहे हैं। हाल ही में राज्यपाल ने द्रमुक सरकार पर निशाना साधते हुये कहा था कि कोयंबटूर कार विस्फोट मामले में सरकार ने घटना के चार दिन बीतने के बाद मामले की जांच एनआईए से कराने की सिफारिश की।

द्रमुक के गठबंधन दलों के नेताओं ने संयुक्त बयान जारी कर इसकी आलोचना की थी। उनका आरोप था कि राज्यपाल भाजपा नेतृत्व को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने मांग की कि संवैधानिक मूल्यों के बारे में बात करने से पहले राज्यपाल को इस्तीफा दे देना चाहिए। सत्तारूढ़ गठबंधन में कांग्रेस समेत 10 दल शामिल हैं, जिन्होने राज्यपाल पर ‘संविधान के खिलाफ काम करने’ के लिए प्रहार किया।

द्रमुक के नेतृत्व वाले सेक्युलर प्रगतिशील गठबंधन ने कहा “ श्री रवि के भाषणों को महत्व दिया जाता है क्योंकि वह राज्यपाल हैं। भाजपा नेतृत्व को खुश करने के लिए उन्हें राज्यपाल का पद छोड़ देना चाहिए। उन्हें इस तरह के विचार तब तक व्यक्त नहीं करने चाहिए जब तक कि वह राज्य के राज्यपाल बने हुए हैं।”

गठबंधन दलों ने कहा कि राज्यपाल के विचार सनातन धर्म, द्रविड़म, अनुसूचित जाति और तिरुक्कुरल के लिए खतरनाक हैं। गठबंधन दलों ने कथित रूप से एक धर्म का पक्ष लेने के लिये राज्यपाल की आलोचना की।

गठबंधन दलों ने कहा कि राज्यपाल के विचार सनातन धर्म, द्रविड़म, अनुसूचित जाति और तिरुक्कुरल के लिये खतरनाक हैं। उन्होंने कहा , “ संविधान के अनुसार भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जबकि राज्यपाल का तर्क एक धर्म के पक्ष में है।

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