उत्तर प्रदेश

बुलंदशहर के 2000 किसान करेंग प्राकृतिक खेती

बुलंदशहर 29 नवंबर : किसानों की आमदनी दोगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणा को मूर्त रूप देने के उद्देश्य बुलंदशहर जिले में 2000 किसान प्राकृतिक खेती करेंगे। इसके लिए कृषि विभाग ने पूरी तैयारियां कर ली है।

जिला मजिस्ट्रेट चंद्र प्रकाश सिंह ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि प्राकृतिक खेती में रसायनिक खाद और कीटनाशकों का फसल उत्पादन में प्रयोग नहीं किया जाता है। खेती का हर काम प्राकृतिक ढंग में किया जाएगा। इसके लिए सरकार योजना के लिए चयनित किसान को 15000 रुपए प्रति एकड़ की दर से अनुदान देगी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी जहां किसानों की आमदनी को दोगुना करने के संकल्प को पूरा करने के लिए प्रयासरत हैं, वहीं इस संकल्प को पूरा करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने किसानों की आय बढ़ाने और लागत कम करने के उद्देश्य से 20 फीसदी खेती प्राकृतिक ढंग से करने का आह्वान किसानों से किया है। इसी को मूर्त स्वरूप देने के लिए जिले के कृषि विभाग ने योजना तैयार की है

उप निदेशक कृषि विपिन कुमार ने योजना की जानकारी देते हुए कहा कि शासन स्तर से 2000 हेक्टेयर जमीन में प्राकृतिक खेती कराने का लक्ष्य मिला है। इसके तहत कृषि विभाग ने गंगा किनारे वाले चार ब्लॉक ऊंचा गांव, सियाना, डिबाई और अनूप शहर के 40 गांवों में प्राकृतिक खेती कराने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए चारों ब्लॉक के 2000 किसान चयनित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सुविधा की दृष्टि से इन किसानों को 40 कलस्टर में बांटा गया है और प्रत्येक कलेक्टर में 50 किसान शामिल हैं जिनको प्राकृतिक खेती करने का प्रशिक्षिण दिया जाएगा ताकि बिना खाद कीटनाशकों के कम लागत में उन्नत फसल पैदा की जा सके। उन्होंने कहा कि जुताई से लेकर कटाई तक के काम के लिए सरकार प्रत्येक किसान को प्रति हेक्टेयर 15000 रुपए अनुदान के रूप में देगी। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग ने शासन के निर्देश पर 40 रिसोर्स पर्सन और 40 चैंपियन फार्मर चयनित किए हैं जो प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों का समय-समय पर खेतों पर जाकर मार्गदर्शन करेंगे ताकि भरपूर पैदावार की जा सके।

उपनिदेशक कृषि ने बताया कि प्राकृतिक खेती खरीफ और रबी दोनों में की जाएगी। इससे जहां किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी, वहीं सामान्यजनों उपभोक्ताओं को भी बिना रसायनिक खाद कीटनाशकों के पैदा होने वाली गेहूं मक्का दलहन तिलहन आदि मिल सकेंगे।

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