सामाजिक और सौम्य है अखिलेश, मुझे उन पर गर्व : बाजपेई
इटावा , 04 अगस्त : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव के गुरू और सेवानिवृत्त शिक्षक अवध किशोर बाजपेई को गर्व है कि अखिलेश के रूप में उन्हे ऐसा सौम्य शिष्य मिला जिसके स्वाभाव और व्यवहार में लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचने के बाद भी कोई अंतर नहीं आया।
इटावा में अखिलेश के गुरू के नाम से मशहूर बाजपेई ने शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर रविवार को यूनीवार्ता से बातचीत में कहा “ राजनीतिक जीवन में अखिलेश के बारे में लोगों की क्या राय है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। मुझे तो इस बात का गर्व है कि उनके छात्र अखिलेश यादव का नाम देश की शीर्ष राजनैतिको में गिना जाता है। यह बात मुझे गौरवान्वित महसूस कराती है, जब कोई मुझे अखिलेश यादव के गुरु या शिक्षक के रूप में पुकारता है।”
उन्होने कहा कि बचपन में अखिलेश यादव को जो पढ़ाया लिखाया है, उसका असर जवान होने पर अखिलेश यादव में साफ साफ दिखाई देता है। अखिलेश सांसद बन कर राजनीति में स्थापित तो हुए ही,साथ ही साल 2012 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन कर के देश के प्रभावी राजनेताओं में शामिल हो गए । आज की बदली की राजनीतिक हालातो मे अखिलेश यादव संघर्षपूर्ण भूमिका मे दिखाई दे रहे है ।
श्री बाजपेई ने कहा कि अखिलेश भले ही देश के प्रभावी राजनेताओं में गिने जाते हो लेकिन वो आज भी ठीक उसी तरह से सम्मान करते हैं जैसा बचपन में छोटे छात्र की तरह किया करते थे। इस व्यवहार को देख करके उनका सीना चौड़ा हो जाता है। अखिलेश को बचपन में जो शिक्षा दी, उसका असर आज भी राजनीतिक और सामाजिक जीवन में व्यवहारिक तौर पर दिखाई देता है। यही व्यवहार हर किसी को अखिलेश का मुरीद बना देता है।
अखिलेश से जुड़े हुए संस्मरणों को याद करते हुये उन्होने कहा कि नेता जी मुलायम सिंह यादव के अनुरोध पर उन्होने अखिलेश को प्रारंभिक शिक्षा दी और बाद में राजस्थान के धौलपुर के सैनिक स्कूल में उनका प्रवेश कराने के लिए ले गए। अखिलेश का धौलपुर के सैनिक स्कूल में प्रवेश हो गया लेकिन उनकी भूमिका लगातार अभिभावक के रूप मे बदस्तूर जारी रही। अखिलेश अपने सैनिक स्कूल में शिक्षण कार्य के साथ-साथ पत्र व्यवहार के जरिए उनके संपर्क में बने रहे।
बाजपेई बताते हैं कि एक दफा अखिलेश यादव ने हिंदी भाषा में उनको पत्र भेजा जिसे देखने के बाद उनको बेहद गुस्सा आया और उन्होंने उस पत्र को फाड़ कर के एक लिफाफे में बंद करके अखिलेश यादव को वापस भेज दिया जिसके जवाब में अखिलेश यादव ने टेलीफोन पर पूछा सर जी आपने मेरा पत्र फाड़ करके क्यों वापस भेज दिया तो मैंने गुस्से में अखिलेश से कहा कि जब तुमको मैंने अंग्रेजी में पत्र लिखा था तो तुमने हिंदी में जबाब क्यो भेजा उसके बाद आज तक अखिलेश ने उन्हे सिर्फ अंग्रेजी में ही पत्र लिखते है। उनके पास स्मृतियों के तौर पर स्कूल के वक्त में भेजे गए अंग्रेजी के पत्र आज भी सुरक्षित रखे हुए हैं।
अखिलेश के सौम्य व्यवहार की चर्चा करते हुए शिक्षक ने कहा कि जब अखिलेश शैतानी करते थे तब जब वो उनका कान मरोड़ने या मारने के लिये हाथ आगे बढ़ाता था तो वह मुस्कराने लगते थे और उनको मुस्कराते देख मारने के लिये आगे बढ़ा हाथ वापस लौट आता है। उन्होंने बताया उनकी मुस्कराहट आज भी वैसी ही है।
अवध किशोर बाजपेई भी ऐसे चंद ऐसे लोगों में है जिनको अखिलेश सबसे अधिक पंसद करते है । इटावा शहर की सिविल लाइन में कचहरी रोड पर रहने वाले अवध किशोर बाजपेई कर्म क्षेत्र इंटर कालेज से रिटायर हो चुके हैं। अंग्रेजी के शिक्षक रहे अवध किशोर को शुरुआती दौर में अखिलेश को उस समय अंग्रेजी पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई जब वह पढ़ाई में काफी कमजोर थे।