तमिलनाडु 2070 से पहले शुद्ध शून्य लक्ष्य प्राप्त करेगा -स्टालिन
चेन्नई, 03 मार्च: मुख्यमंत्री एम.के.स्टालिन ने शुक्रवार को कहा कि तमिलनाडु ने 2070 के राष्ट्रीय लक्ष्य से बहुत पहले ‘शुद्ध शून्य’ हासिल करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विभाग द्वारा कार्बन उत्सर्जन पर वैज्ञानिक डेटा को अगले कुछ महीनों में जारी किया जाएगा और एक जलवायु साक्षरता कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।
श्री स्टालिन ने यहां राज्य सचिवालय में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर तमिलनाडु गवर्निंग काउंसिल की पहली बैठक में कहा कि राज्य 2070 के राष्ट्रीय लक्ष्य से बहुत पहले ‘शुद्ध शून्य’ को हासिल करने का लक्ष्य बना रहा है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एक ‘जलवायु साक्षरता’ कार्यक्रम की शुरुआत करेगी और तटीय कटाव और जैव विविधता को रोकने के लिए पलमायरा पेड़ों का उपयोग करेगी। उन्होंने कहा कि अगले कुछ महीनों में हम वैज्ञानिक रूप से प्रत्येक विभाग द्वारा कार्बन उत्सर्जन पर डेटा जारी करेंगे।
उन्होंने कहा कि या तो यह समिति या एक उप-समिति डेटा का अध्ययन करेगी और एक लक्ष्य निर्धारित करेगी जिससे तमिलनाडु 2070 से बहुत पहले इस लक्ष्य को प्राप्त कर सके।
उन्होंने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों से आग्रह किया कि इसे लागू करने से पहले जलवायु परिवर्तन के दृष्टिकोण से सभी विकास कार्यक्रमों की जांच करें। श्री स्टालिन ने कहा कि विकास और स्थिरता राज्य के विकास की दो आंखें हैं।
उन्होंने कहा कि हम विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इससे संसाधनों का अपवय नहीं होना चाहिए और यह चिरस्थायी होना चाहिए। अगर विकास एक आंख है, तो जलवायु परिवर्तन के बारे में सोचना दूसरी आंख है और इसलिए ये दोनों आंखें तमिलनाडु के विकास के लिए बहुत आवश्यक हैं।
मुख्यमंत्री ने जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों में कमी लाने के लिए अपनी सरकार द्वारा अपनाए गए विभिन्न उपायों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राज्य सरकार ने जलवायु परिवर्तन के लिए एक समिति का गठन किया है।
उन्होंने कहा कि देश के किसी अन्य राज्य ने और यहां तक कि केंद्र सरकार ने भी जलवायु परिवर्तन के लिए परिषद का गठन नहीं किया है जैसा कि तमिलनाडु ने किया है और यह परिषद ही तय करेगा कि तमिलनाडु को शुद्ध शून्य का लक्ष्य कब प्राप्त करना चाहिए।
श्री स्टालिन ने यह भी घोषणा किया कि राज्य सरकार जल्द ही जलवायु साक्षरता के लिए एक अभियान चलाएगी जिससे जलवायु परिवर्तन का संदेश स्कूल और कॉलेज के छात्रों और उद्यमियों तक पहुंचा जा सके।
मुख्यमंत्री ने आज 10 गांवों को जलवायु प्रतिरोधी गांवों में परिवर्तित करने के लिए एक कार्यक्रम के शुरूआत की घोषणा करते हुए कहा कि समुद्र के कटाव को रोकने और जैव विविधता की रक्षा के लिए पलमायरा के पेड़ लगाने के लिए एक कार्यक्रम भी शुरू किया जाएगा।
इस बैठक में गवर्निंग काउंसिल के प्रतिष्ठित सदस्य अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के पूर्व कार्यकारी निदेशक एरिक सोलहेम, एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की अध्यक्ष सौम्या स्वामीनाथन, नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट के संस्थापक-निदेशक रमेश रामचंद्रन, रैमको कम्युनिटी सर्विसेज की अध्यक्ष निर्मला राजा और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।