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ज्ञानवापी मामला : हिंदू प्रतीक चिह्नों की कार्बन डेटिंग कराने की माँग पर अदालत का फैसला टला

वाराणसी, 07 अक्टूबर : उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले हिंदू प्रतीक चिह्नों की प्राचीनता का पता लगाने के लिए इनकी कार्बन डेटिंग कराए जाने की माँग को लेकर दायर अर्ज़ी पर ज़िला अदालत ने शुक्रवार को सुनाए जाने वाले फ़ैसले को 11 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया है।

ज़िला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने इस मामले में कुछ स्पष्टीकरण की ज़रूरत बताते हुए अगली तारीख़ 11 अक्टूबर तय की है। वादी पक्ष ने कार्बन डेटिंग सहित अन्य वैज्ञानिक तकनीक की मदद से हिंदू प्रतीकों की प्राचीनता का पता लगाने की अदालत से माँग की है।

इस मामले में अदालत द्वारा माँगे गए स्पष्टीकरण पर अगली सुनवाई को मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलें अदालत में पेश करेगा।

हिंदू पक्ष के वक़ील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि अदालत ने फ़ैसला सुनाने से पहले दो बिंदुओं पर स्पष्टीकरण माँगा है। अदालत ने पक्षकारों से पूछा है कि मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण के समय 16 मई को वजूखाने में मिला ‘शिवलिंग’ क्या इस मुक़दमे की संपत्ति के रूप में दर्ज है? दूसरा बिंदु पर अदालत ने पूछा कि क्या यह अदालत कार्बन डेटिंग के मुद्दे पर कोर्ट कमीशन नियुक्त कर सकती है?

अधिवक्ता जैन ने कहा कि उन्होंने अदालत को बताया कि अर्ज़ी में मस्जिद परिसर में मौजूद दृश्य एवं अदृश्य हिंदू देवी देवताओं की पूजा अर्चना का अधिकार देने की माँग की गई थी। इसलिए सर्वेक्षण में मिले हिंदू प्रतीकों को वाद की संपदा में शामिल माना जाएगा। उन्होंने कहा कि कथित ‘शिवलिंग’ वजूखाने में पानी के अंदर था, इसलिए अदृश्य था, लेकिन सर्वेक्षण के बाद यह अब यह दृश्य संपदा में शामिल हो गया है।

अदालत ने इस बिंदु पर मुस्लिम पक्ष को अगली सुनवाई पर अपना प्रतिवादन पेश करने को कहा है। ग़ौरतलब है कि अदालत द्वारा आज इस अर्ज़ी पर फ़ैसला सुनाये जाने की उम्मीद थी।

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