भ्रष्टाचार के लंबित मामलों पर विभागों की रैंकिंग हो: मोदी
नयी दिल्ली, 03 नवंबर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसी भी भ्रष्ट व्यक्ति को राजनीतिक-सामाजिक संरक्षण न दिए जाने का आह्वान करते हुए गुरुवार को कहा कि भ्रष्टाचार के लंबित मामलों के आधार पर सरकारी विभागों की रैंकिंग की जानी चाहिए और इसकी रिपोर्ट नियमित रूप से सार्वजनिक की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार जो इच्छा शक्ति दिखा रही है, वैसी ही इच्छाशक्ति सभी विभागों में भी दिखनी आवश्यक है। विकसित भारत के लिए हमें एक ऐसा प्रशासनिक पारिस्थितकी तंत्र विकसित करना है, जो भ्रष्टाचार को तनिक भी सहन न करता हो।
प्रधानमंत्री ने विभागों में भ्रष्टाचार के मामलों का निस्तारण तेजी से करने की जरूरत पर भी बल दिया है। श्री मोदी यहां विज्ञान भवन में केंद्रीय सतर्कता आयोग( सीवीसी ) द्वारा आयोजित सतर्कता जागरूकता सप्ताह के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने सीवीसी के नए शिकायत प्रबंधन प्रणाली पोर्टल का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय कार्मिक, लोक-शिकायत एवं पेंशन विभाग के मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह , प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रधान सचित डॉक्टर पी के मिश्रा, कैबिनेट सचिव राजीव गौबा, सीवीसी सुरेश पटेल और आयोग के अन्य सदस्य तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
श्री मोदी ने कहा कि भारत को विकसित देश बनाने के लिए, विश्वास और विश्वसनीयता महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “पहले की सरकारों ने न केवल लोगों का विश्वास खोया, बल्कि वे लोगों पर भरोसा करने में भी विफल रहीं थीं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार पिछले आठ वर्षों से सरकारी सेवाओं की ‘कमी और दबाव ’ की व्यवस्था को बदलने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार आपूर्ति और मांग के बीच की खाई को भरने की कोशिश कर रही है।
प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार दूर करने के लिए जनता के सामने सेवाओं के अभाव या कमी को दूर करने को बहुत जरूरी बताया। उन्होंने कहा, “प्रौद्योगिकी, सेवा संतृप्ति (सेवा की सर्वसुलभता) और आत्मनिर्भर भारत भ्रष्टाचार से निपटने के तीन प्रमुख तरीके हैं।” उन्होंने साथ में यह भी कहा कि एक विकसित भारत के लिए, हमें भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के साथ एक ऐसा प्रशासनिक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कि भ्रष्टाचार के लंबित मामलों के आधार पर विभागों की रैंकिंग का एक तरीका तैयार करने और मासिक या त्रैमासिक आधार पर संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित करने की जरूत है।
उन्होंने कहा कि “किसी भी भ्रष्ट व्यक्ति को राजनीतिक-सामाजिक समर्थन नहीं मिलना चाहिए।” उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि कई बार भ्रष्ट लोगों को भ्रष्ट साबित होने के बाद भी जेल जाने के बाद भी महिमामंडित किया जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति भारतीय समाज के लिए अच्छी नहीं है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सीवीसी जैसे भ्रष्ट और भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाली संस्थाओं को रक्षात्मक होने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि जब आप भ्रष्टाचार के खिलाफ दृढ़ विश्वास के साथ कार्रवाई करते हैं, तो पूरा देश आपके साथ खड़ा होता है।
उन्होंने कहा कि सतर्कता जागरूकता सप्ताह सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती से शुरू हुआ है। सरदार साहब का पूरा जीवन ईमानदारी, पारदर्शिता और इससे प्रेरित पब्लिक सर्विस के निर्माण के लिए समर्पित रहा। इस बार इस आयोजन का संकल्प है- ‘विकसित भारत के लिए भ्रष्टाचार मुक्त भार”।
श्री मोदी ने कहा, ‘विकसित भारत के लिए, विश्वास और विश्वसनीयता, ये दोनों बहुत आवश्यक है।” उन्होंने कहा कि सरकार के ऊपर जनता का बढ़ता हुआ विश्वास, जनता का भी आत्मविश्वास बढ़ाता है। हमारे यहां मुश्किल ये भी रही कि सरकारों ने जनता का विश्वास तो खोया ही, जनता पर भी विश्वास करने में पीछे रहीं।
श्री मोदी ने इसी बार के स्वाधीनता दिवस के अपने उस आह्वान का भी उल्लेख किया कि पिछले आठ साल की सरकार की पहल के बाद ‘अब भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का समय आ गया है।’
उन्होंने कहा,‘ देश में भ्रष्टाचार की और देशवासियों को आगे बढ़ने से रोकने वाली दो बड़ी वजहें रही हैं- एक-सुविधाओं का अभाव और दूसरा-सरकार का अनावश्यक दबाव।” भ्रष्टाचार के कारण के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि अभाव ने एक अस्वस्थ स्पर्धा शुरू हुई जिसमें किसी भी लाभ को, किसी भी सुविधा को दूसरे से पहले पाने की होड़ लग गई। इस होड़ ने भ्रष्टाचार का परिस्थितिकी तंत्र के पसार में एक प्रकार से खाद-पानी का काम किया।
उन्होंने कहा, “राशन , गैस कनेक्शन , बिल भरने, एडमिशन , लाइसेंस , परमिशन , सब जगह लाइन। यह लाइन जितनी लंबी, भ्रष्टाचार की जमीन उतनी ही समृद्ध।” श्री मोदी ने कहा कि इस तरह के भ्रष्टाचार का सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी को उठाना पड़ता है, तो वो है देश का गरीब और देश का मध्यम वर्ग।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार पिछले आठ वर्षों से अभाव और दबाव से बनी व्यवस्था को बदलने का प्रयास कर रहे हैं, मांग और आपूर्ति के अंतर को भरने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अभाव के इस वातावरण को दूर करने के लिए उनकी सरकार ने तीन प्रमुख रास्ते- आधुनिक टेक्नोलॉजी का रास्ता, दूसरा मूल सुविधाओं के सैचुरेशन (सर्वसुलभता) का लक्ष्य, और तीसरा आत्मनिर्भरता का रास्ता। ” ।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को टेक्नॉलॉजी से जोड़ने से करोड़ों फर्ज़ी लाभार्थी सिस्टम से बाहर हो गए। लोगों को सीधे बैंक खतों में लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) जैसे एक कदम से ही अभी तक दो लाख करोड़ रुपए से अधिक गलत हाथों में जाने से बचा है।
श्री मोदी ने कहा कि गवर्नमेंट ई मार्केट प्लेस- जेम पोर्टल जैसी व्यवस्था से सरकारी खरीद में कितनी पारदर्शिता आई है।
उन्होंने कहा कि योजनाओं को सब तक पहुंचाने (सैचुरेशन) के लक्ष्यों को प्राप्त करना समाज में भेदभाव भी समाप्त करता है और भ्रष्टाचार की गुंजाइश को भी खत्म कर देता है। इसलिए हमारी सरकार द्वारा हर योजना में सैचुरेशन के सिद्धांत को अपनाया गया है। हर घर जल, हर गरीब को पक्की छत, हर गरीब को बिजली कनेक्शन, हर गरीब को गैस कनेक्शन, ये योजनाएं सरकार की इसी अप्रोच को दिखाती है।
श्री मोदी ने कहा कि हथियारों की खरीद में दलाली की बुराई का उल्लेख करते हुए कहा कि विदेशों पर अत्याधिक निर्भरता भी भ्रष्टाचार का एक बड़ा कारण रही है। उन्होंने कहा, “आप जानते हैं कि कैसे दशकों तक हमारे डिफेंस सेक्टर को विदेशों पर निर्भर रखा गया। इस वजह से कितने ही घोटाले हुए।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के बारे में एक भावना यह है कि जो भ्रष्ट अफसर होते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई, चाहे वो आपराधिक हो या फिर विभागीय, बरसों तक चलती रहती है। उन्होंने सवाल किया कि क्या भ्रष्टाचार से संबंधित अनुशासनात्मक कार्रवाई को मिशन मोड में, एक अवधि तय करके पूरा नहीं किया जा सकता? उन्होंने यह भी कहा कि समय से निर्णय न होने के चलते कई बार आरोप में फंसे निर्दोष अधिकारी को जीवन भर दुख रहता है कि “ मैंने ईमानदार जिंदगी जी और मुझे कैसे फंसा दिया और फिर निर्णय नहीं कर रहे हैं। ”
उन्होंने कहा कि आरोपों पर जितनी जल्दी फैसला होगा, उतनी ही प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी, उसकी शक्ति बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि जो आपराधिक मामले हैं उनमें भी तेजी से कार्रवाई किए जाने, उनकी लगातार निगरानी किए जाने की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री ने इसी संदर्भ में उन्होंने भष्ट्राचार के लंबित मामलों के आधार पर विभगों की रैकिंग करने का सुझाव दिया ताकि स्वच्छता के लिए प्रतिस्पर्धा पैदा हो। उन्होंने कहा कि लम्बित मामलों और उन पर कार्रवाई से जुड़ी रिपोर्ट्स का मासिक या तिमाही प्रकाशन, अलग-अलग विभागों को भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे केसों को तेजी से निपटाने के लिए प्रेरित करेगा।
श्री मोदी ने जनता से मिलने वाली शिकायतों के डेटा का ऑडिट किए जाने का भी सुझाव दिया ताकि यह पता लगेगा कि क्या कोई कोई खास विभाग है जहां से ज्यादा शिकायतें आ रही हैं। कोई खास व्यक्ति है, जिसके यहां जा करके सारा मामला अटकता है। क्या कोई प्रोसेसिंग पद्धतियाँ जो हैं हमारी, उसी में कोई गड़बड़ी है, जिस कारण मुसीबतें आ रही हैं।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार पर निगरानी के लिए हम समाज और सामान्य नागरिक की भागीदारी को कैसे प्रोत्साहित कर सकते हैं, इस पर भी काम होना चाहिए।