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गुरु नानक देव विश्वविद्यालय में वाई-20 के साथ बसंत फूल मेले का आयोजन 14 मार्च को

अमृतसर, 13 मार्च : गुरुनानक देव विश्वविद्यालय के प्रांगण में जहां एक तरफ जी-20 देशों के विदेशी मेहमानों के आगमन से चहल-पहल रहेगी वहीं कैंपस फूलों की महक से भी सराबोर रहेगा।

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू) के स्वर्ण जयंती सम्मेलन केंद्र में जी-20 के तहत वाई 20 के कार्यक्रम 14 से 16 मार्च तक आयोजित किया जाएगा और इसके साथ ही 14 मार्च को भाई गुरदास पुस्तकालय के सामने एक वसंत फूल मेले का आयोजन किया जाएगा। जीएनडीयू द्वारा अमृतसर में साल में दो बार दिसंबर और मार्च के महीने में फूल मेले का आयोजन किया जाता है। हर साल मार्च के महीने में वसंत फूल मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें विभिन्न प्रकार के मौसमी फूल जैसे पेटुनिया, पैंसी, साल्विया, वर्बिना आदि सदाबहार सजावटी पौधों का प्रदर्शन किया जाता है और उनके लिए प्रतिस्पर्धा की जाती है। इस मेले में अमृतसर शहर और दूर-दूर से कई स्कूल, कॉलेज और फूलों में रुचि रखने वाले लोग व्यक्तिगत रूप से भाग लेते हैं। इसके साथ ही बच्चे रंगोली प्रतियोगिताओं में भी भाग लेते हैं, जिनमें ये रंगोली फूलों की पंखुड़ियों और कृत्रिम रंगों से बनाई जाती हैं।

दिसंबर के महीने में लगने वाले फूल मेले का नाम पंजाबी के प्रसिद्ध कवि भाई वीर सिंह जी के नाम पर रखा गया है, इसकी अपनी एक विशिष्टता है। भाई वीर सिंह जी ने जिस दृष्टि से प्रकृति को अपने भाव और अनुभव में लिया है, वह अतुलनीय है। फूलों, पेड़ों, पौधों, घास की पत्तियों, झाड़ियों, नदियों, नदियों के पानी, ओस की बूंदों, धरती की गोद में उगने वाले छोटे-छोटे फूलों, धरती के अंदर चल रही संवेदनाओं और कई अन्य प्राकृतिक घटनाओं का विवरण और अनुभव आसानी से समझ में आता है।

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ जसपाल सिंह संधू के प्रयासों से पुष्प मेले के कारण कई प्रकृति प्रेमी और समाज सेवी संस्थाओं के सहयोग से अब तक हजारों तरह के पेड़ पौधे रोपे जा चुके हैं। विश्वविद्यालय के माता कौलां बॉटनिकल गार्डन, कृषि विभाग और लैंडस्केप विभाग के प्रयास विश्वविद्यालय के वातावरण को प्रकृति के करीब होने की भावना से भर रहे हैं।

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय का परिसर देश भर के विश्वविद्यालयों में एकमात्र ऐसा परिसर है, जिनमें कई पेड़-पौधों को क्यूआर कोड किया गया है। हर प्लांट पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन करने से सारी जानकारी मोबाइल फोन में आ जाती है, जिससे प्रत्येक पौधे के चिकित्सीय लाभ और अन्य जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। पंजाब में केला, सेब, केसर और कई अन्य फसलों की खेती को संभव बनाने के लिए विश्वविद्यालय में कृषि और पौध विज्ञान से संबंधित कई शोधों का परिणाम है। उपलब्धियां विश्वविद्यालय के विद्वानों की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया जगत में चर्चा की गई है।

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय को प्रकृति संरक्षण और प्रदूषण मुक्त परिसर वाले विश्वविद्यालय के रूप में भी जाना जाने लगा है। विश्वविद्यालय में पेड़ों की पत्तियों और अपशिष्ट जल का पुनर्चक्रण किया जाता है। कूड़ा-करकट का सही प्रबंधन किया जाता है। उपयोग किए गए पानी का भी उपचार और पुन: उपयोग किया जाता है। यह 15 मार्च को आयोजित होने वाले वाई-20 के पैनल चर्चा सत्र का उप-विषय है।

जीएनडीयू के लोक संपर्क निदेशक प्रवीण पुरी के अनुसार भारत को पहली बार वाई 20 की मेजबानी और अध्यक्षता करने का मौका मिल रहा है। इसकी शुरुआत एक दिसंबर 2022 से हो चुकी है और यह 30 नवंबर 2023 तक चलेगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर की हवा को शुद्ध करने के लिए किए गए प्रयासों के परिणाम स्वरूप हवा शुद्ध हो गई और परिसर का तापमान भी शहर की तुलना में कम था, फसल भी उगाई और सफलतापूर्वक प्रयोग किया कि पंजाब में केसर और केले की फसल भी संभव है।

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