छात्रों की दाढ़ी को लेकर फिर विवादों और चर्चाओं में आया दारूल उलूम
देवबंद (सहारनपुर) 21 फरवरी: देवबंदी विचारधारा के इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारूल उलूम देवबंद छात्रों के दाढ़ी कटवाने को लेकर एक बार फिर से चर्चाओं में आ गया है। इस संस्था ने एक पखवाड़ा पूर्व बड़ी कक्षाओं के चार उन छात्राओं को संस्था से निकाल दिया था जिन्होंने अपनी दाढ़ी कटवाकर छोटी कर ली थी।
दारूल उलूम देवबंद में वहां के छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों समेत सभी पर यह नियम लागू होता है कि वे हाथ की हथेली या फिर मुट्ठी में अपने जितनी दाढ़ी अनिवार्य रूप से रखेंगे। बताया जाता है कि इस्लाम मजहब में इसे सुन्नत माना जाता हैं।
दारूल उलूम के शिक्षा विभाग ने सभी छात्रों को चेतावनी दी है कि यदि वे अपनी दाढ़ी कटवाते हैं तो उन्हें पढ़ाई छोड़नी होगी। ऐसे छात्रों को संस्था से निकाल दिया जाएगा। शिक्षा विभाग के इंचार्ज मौलाना हुसैन अहमद ने मंगलवार को बताया कि जिन छात्रों को दाढ़ी कटवाने के कारण संस्था से 15 दिन पहले निष्कासित किया गया था उन्होंने दाढ़ी कटवाने को लेकर खेद जताया था और निष्कासन रद्द करने की मांग की थी। उनके कबूलनामे और माफीनामे को दारूल उलूम के प्रबंधकों ने स्वीकार नहीं किया है। ये छात्र वार्षिक परीक्षा से भी महरूम रह सकते हैं।
दारूल उलूम देवबंद दाढ़ी को लेकर तीन साल पहले फतवा भी जारी कर चुका है। जिसमें वहां के मुफ्तियों ने कहा था कि इस्लाम धर्म में दाढ़ी कटवाना हराम है। दारूल उलूम के प्रवक्ता रहे अशरफ उस्मानी ने कहा कि यह कोई नया मामला नहीं है। सभी को पहले से यह मालूम है कि दारूल उलूम विशेष रूप से इस्लामिक शिक्षण संस्था है। वहां पर सभी के लिए दाढ़ी रखना जरूरी है।
मदरसा जामिया शेखूल हिंद के मोहत्मिम मुफ्ती असद कासमी ने मंगलवार को कहा कि हजरत मोहम्मद साहब ने जो भी तौर-तरीके अपनाए हैं उसे इस्लाम धर्म में सुन्नत माना जाता हैं। हर मुसलमान को शरियत के नियमों और सुन्नत का पालन करना चाहिए। दाढ़ी रखना भी सुन्नत है। उन्होने कहा कि यह अलग बात है कि जो लोग दाढ़ी नहीं रखते तो वह मुसलमान धर्म से खारिज नहीं माने जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मुट्ठीभर से ज्यादा बढ़ी हुई दाढ़ी कटवाने में कोई बुराई नहीं है।